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Thursday, October 3, 2013

नवरात्रि

नवरात्रि
 शक्ति के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। पौराणिक मान्यता है कि शक्ति ही संसार का 

कारण है, जो अनेक रूपों में हमारे अंदर और आस-पास चर-अचर, जड़-चेतन, सजीव-निर्जीव

 सभी में अनेक रूपों में समाई है। शक्ति के इसी महत्व को जानते हुए हिन्दू धर्म के शास्त्र-

पुराणों में शक्ति उपासना व जागरण की महिमा बताई गई है। जिससे मर्यादा और संयम के
 
द्वारा शक्ति संचय व सदुपयोग का संदेश जुड़ा है। धार्मिक परंपराओं में नवरात्रि के रूप में प्रसिद्ध

 इस विशेष घड़ी में शक्ति की देवी के रूप में पूजा होती है। जिनमें शक्ति के 3 स्वरूप महाकाली

, महालक्ष्मी, महासरस्वती प्रमुख रूप से पूजनीय है। जिनको बल, वैभव और ज्ञान की देवी माना 

गया है। इसी तरह धर्मग्रंथों में सांसारिक जीवन में अलग-अलग रूपों में शक्ति संपन्नता के लिए

 शक्ति के नौ स्वरूपों यानी नवदुर्गा की पूजा का महत्व बताया गया है। नवदुर्गा का अर्थ है दुर्गा 

के नौ स्वरूप। दुर्गा को दुर्गति का नाश करने वाली कहा जाता है। चूंकि नवरात्रि में रात में शक्ति 

पूजा का महत्व है। इसी कारण मान्यता है कि नवरात्रि की नौ रातों में नौ शक्तियों वाली दुर्गा के 

अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अलग-अलग कामनाओं को पूरा कर रातों-रात बलवान, बुद्धिमान 

और धनवान बना देती है। जानें, नवरात्रि की नौ रात किस देवी के अद्भुत स्वरुप की भक्ति पूरी

 करती है कौन-सी इच्छा?


1. शैलपुत्री - नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। यह 

कल्याणी भी कही जाती है। इनकी उपासना से सुखी और निरोगी जीवन मिलता है।


2. ब्रह्मचारिणी- नवरात्रि के दूसरे दिन तपस्विनी रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की 

जाती है। इनकी उपासना से पुरूषार्थ, अध्यात्मिक सुख और मोक्ष देने वाली होती है।

 सरल शब्दों में प्रसन्नता, आनंद और सुख के लिए इस शक्ति की साधना का महत्व 

है।


3. चंद्रघंटा - नवरात्रि की तीसरे दिन नवदुर्गा के तीसरी शक्ति चंद्रघंटा को पूजा 

जाता है। इनकी भक्ति जीवन से सभी भय दूर करने वाली मानी गई है।


4. कूष्मांडा - नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की उपासना का महत्व है। यह 

उपासना भक्त के जीवन से कलह, शोक का अंत कर लंबी उम्र और सम्मान देने 

वाली होती है।


5. स्कंदमाता - नवरात्रि के पांचवे दिन स्कन्दमाता की पूजा की जाती है। माता की

 उपासना जीवन में प्रेम, स्नेह और शांति लाने वाली मानी गई है।


6. कात्यायनी - नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का महत्व है। माता

 की पूजा व्यावहारिक जीवन की बाधाओं को दूर करने के साथ तन और मन को 

ऊर्जा और बल देने वाली मानी गई है।


7. कालरात्रि - नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गा के तामसी स्वरूप मां कालरात्रि की 

उपासना की जाती है, किंतु सांसारिक जीवों के लिये यह स्वरूप शुभ और काल से 

रक्षा करने वाला है। इनकी उपासना पराक्रम और विपरीत हालात में भी शक्ति देने

 वाला होता है।


8. महागौरी - नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। मां का यह 

करूणामयी रूप है। इनकी उपासना भक्त को अक्षय सुख देने वाली मानी गई है।


9. सिद्धिदात्री - नवरात्रि के अंतिम या नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना का 

महत्व है। इनकी उपासना समस्त सिद्धि देने वाली होती है। व्यावहारिक जीवन के 

नजरिए से ज्ञान, विद्या, कौशल, बल, विचार, बुद्धि में पारंगत होने के लिए माता 

सिद्धिदात्री की उपासना बहुत ही प्रभावी होती है।


 
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